तूफ़ानों क्यों आते है तथा इनका नामकरण कौन करता है | Why do storms come and who names them?
नीलम, सैंडी, डोली, कैटरीना ये नाम तो आपने न्यूज चैनल पे आसानी से सुने होंगे | पर क्या आप जानते है ये कोई हेरोइन के नाम नहीं है | ये है समुद्री तूफ़ानों के नाम
पर क्या आप जानते है की इन समुद्री तूफ़ानों के नाम कैसे रखे जाते है नहीं तो आज के इस ब्लॉग में हम इसी बात पर बात करने वाले है की इन समुद्री तूफ़ानों का नामकरण कैसे किया जाता है | आखिर इन समुद्री तूफ़ानों का नामकरण करने का कारण क्या है ? चलिए में आपको बताता हूँ |
दरअसल इन समुद्री तूफ़ानों का नाम इसलिए जाता है की इनकी पहचान हो सके क्योंकि कई बार एक ही हिस्से में कई तूफान बन रहे होते है | लोगों को तूफान की पूर्वसूचना देने के समय भी ये काम आते है | ये नाम एक सूची मे से लिए जाते है जो अलग – अलग क्षेत्रों में अलग- अलग होती है | और ये सूचियाँ कई साल पहले ही तैयार कर ली जाती है | इन सूचियों को तैयार करने का काम विश्व मौसम संगठन की समितियाँ या राष्ट्रीय मौसम कार्यालय करते है |
तूफ़ानों के नाम रखने की शुरुआत उन्नीसवी शताब्दी के अंत मे ऑस्ट्रेलिया के मौसम वैज्ञानिक क्लेमेंट लिंडली रॉग ने की थी उन्होंने तूफ़ानों के नाम उन राजनेताओ के नाम पर रखे थे जिन्हे वह नापसंद करते थे |
जैसे-जैसे मौसम विज्ञान में प्रगति हुई और बहुत से तूफ़ानों की जानकारी मिलने लगी तो इन्हें नाम देना सुविधाजनक हो गया |
अब जानते है की तूफान क्यों आते है ?
जब नमी से भरी हुई ढेर सारी हवा तेजी से ऊपर की और उठती है | जब तूफान आते है तो शुरुआत से पहले हवा तेज चलने लगती है | बादल बड़े हो जाते है और गहरे होते हुए आसमान में अंधेरा छाने लगता है | ये सभी तूफान के लक्षण है |
अब मैं आपको बताता हूँ की बिजली कैसे चमकती है |
बादलों के अंदर पनि के कण तेजी से घूमते है और आपस में टकराते है , जिससे बिलजी बनती है | बिजली बनने का यह काम तब तक चलता रहता है जब तक की यह एक बादल से दूसरे बादल तक होती हुई धरती तक कौंध नहीं जाती | क्या आपको पता है बिजली का चमकना और बादलों का गर्जना एक साथ होता है | लेकिन हमे बिजली चमकती हुई पहले दिखती है और बादलों की गड़गड़ाहट बाद में सुनाई देती है | ऐसा क्यों

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